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DELHI SATSANG 23 SEP 2018


दिल्ली सत्संग 23 सितंबर 2018 दिल्ली में बाबाजी ने स्वामी जी महाराज की बानी में से शब्द लिया धुन सुन के मन समझाई,,,, हमने किस तरह मन को काबू में लाना है ये मन आज तक सबको नाच नचाया करता है इसको भजन सिमरन के जरिए ही कंट्रोल में ला सकते है और जो मालिक की भक्ति है वो सूरत शब्द की कमाई है नाम की कमाई है उस भक्ति के बिना हमारा मकसद पूरा नहीं हो सकता हम मुक्ति हासिल नहीं कर सकते और भकक्ती उस एक कि करनी हे जो सब का मालिक है लेकिन हम उसको बांट कर बैठ गए है हिन्दू का अलग है मुसलमानों का अलग है,,हमें जो शरीर मिलन कर्मो के कारण मिला हे इसका एक मकसद है कि हम उस मालिक से रिश्ता जोड़ के भजन बंदगी करे लेकिन हमारी हालत क्या है उल्टा हम ने खुद को इस रचना में उलझा कर बैठ गए हैं और मालिक की भक्ति के वक़्त ही नहीं निकाल पाते,,,नाम लेने का मकसद क्या था नाम लिया मुक्ति हासिल करने के लिए जब नाम की कमाई ही नहीं की तो मुक्ति कहा से हासिल होगी ,, जब कोई बच्चा स्कूल में एडमिशन करते है की वो पढ़ाई कर के काबिल इंसान बन सके लेकिन वो स्कूल जाए पर पढ़ाई ना करे तो पास केसे होगा इसी तरह हम नाम लेकर भजन सिमरन नहीं किया तो मुक्ति केसे हासिल होगी,,,,आगे बाबा जी ने समझाया कि हमारी अवस्था क्या है क्या क्या जतन करने पड़ते हे केसे आज हम पैसे खर्च करके घर में पूजा पाठ करवा लेते है और बेफिक्र हो जाते हो गई भक्ति मालिक की,,या फिर हम ज्योतिष पंडितो के पीछे भागते हे उनकी अपनी कुंडली दिखाते हे वो फिर तरह तरह के उपाव बताते है करने के लिए ये के दो ऐसा करो तभी तुमरे गृह ठीक होंगे,,,हम उनके बताए रास्ते पे बिना सोचे चल पड़ते है वो पंडित उसने अपनी लड़की की कुंडली नहीं देखी थी जो विधवा होकर घर बैठी हे इस दुनिया में कोई किसी के क्रम नहीं उठा सकता ,कर्मो आपो आपणी के नेरे के दूर,,,कर्मो का हिसाब सब को देना पड़ेगा जो किया है वो भुगतना ही पड़ेगा उसके लिए किसी और को दोषी नहीं बना सकते गुर ग्रंथ बानी मेंे आया है देंदे दोष ना दीजे,दोष करमा अपना,,जिनमें किया सो में पाया,दोष ना दिजे अवर जना,,,, फिर आपने आगे समझाया हम केस मालिक की भजन बंदगी में लगना हे आप कहते हैं हमें अपना बरतन साफ रखना है भजन सिमरन को वक़्त देना है जब भी वक़्त मिले भजन में बैठो लगे या ना लगे हमें बैठना है हम अपने बरतन को साफ रखे वो भरेगा मालिक की मोज होगी वो दया करेगा हम अपना कर्तव्य पूरा करे उस मालिक की रजा में उसके हुक्म में रहते हुए अपने बरतन को साफ रखना हे,,,,, मालिक से रिश्ता जोड़ा हे तो निभाना भी हे कोई लफ्जो में जाहिर नहीं करना कुछ बन के दिखाना है कर के दिखाना हे,,तभी हमारा मकसद पूरा होना हे यहां आने का मुक्ति हासिल करने का मुक्ति मिलेगी भजन सिमरन के जरिए नाम की कमाई के जरिए,,,

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